देश के बैंकर्स आज दुःखी हैं।
ऐसा लग रहा है की देश की हर आँख आज बैंकर को एक घटना के बाद शक की निगाह से देख रही है, Social Media पर चुटकुलों की भरमार आ गयी है और मीडिया पानी पी- पी के बैंक और बैंकिंग सिस्टम को कोस रहा है।
भ्रष्टाचार हर जगह है, भ्रष्ट लोग हर जगह हैं इसलिए बैंक में भी हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं की पूरा बैंकिंग सिस्टम भ्रष्ट है और हर कोई भ्रष्टाचार में लिप्त है। बैंकर्स देश की अर्थव्यवस्था के रीढ़ की हड्डी यानि बैकबोन हैं और देश इन्ही कर्मठ बैंकर्स की वजह से कई आर्थिक झंझावातों को पार कर आगे बढ़ा है। कई, कई और कईयों बार यहाँ तक की जब विश्व की अर्थव्यवस्था डांवाडोल थी, तब भी इन्ही परिश्रमी और ईमानदार बैंकर्स की वजह से देश मजबूती से खड़ा था।
देश के भ्रष्टाचार के बारे में गूगल करने पर एक रिपोर्ट मिली - CMS-India Corruption Study 2017 Perception and Experience with Public Services & Snapshot View for 2005-17.
सर्वे के अनुसार टॉप 10 पब्लिक सर्विसेस में जनता सबसे ज्यादा Interact बैंक से करती है जो की PDS, Health/ Hospital, School Education और Electricity से भी ज्यादा है। यानि आप बैंकर्स के काम के बोझ का आकलन कर सकते हैं। और जनता सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार कहाँ महसूस करती है उसकी भी लिस्ट प्रतिशत में देखिये :
Police : 34%, Land/ Housing: 24%, Judicial Services : 18%, Tax : 15% PDS : 12%, WaterSupply: 9%, HealthServices: 8%, Electricity: 7% BankingServices : 7% और SchoolEducation : 6%
यानी सबसे ज्यादा public के संपर्क में आनेवाली बैंकिंग व्यवस्था भ्रष्टाचार की निचली कगार पर है। और public reach या कहिए जनता से Bankers का ये संपर्क 2005 में जहां 10% था आज वो 75% है। जैसा की ये सर्वे कहता है “ Exceptional being banking services, where a huge jump in percentage of households interacted with banking related services could be seen (from only 10% in 2005 to 75% in 2017).”
Public Reach बढ़ा है, सेवाओं की संख्या बढ़ी है, बैंकिंग और अर्थव्यवस्था की जटिलताएँ बढ़ी हैं और इन सबकी वजह से एक आम बैंकर के जीवन की जटिलताएँ भी बढ़ी हैं। लोन दो तो वसूलने की जटिलता, न दो (even for technical deficiency in project) तो आप economy/ industry और public को support नहीं कर रहे। किस्मत रही तो पैसे वापस आएंगे किस्मत साथ न दे तो सारे process फॉलो करने के बाद भी NPA. वसूलने जाओ तो उधारलेने वाले मोहल्ले को जमा करके बताएँगे की कैसे बैंक वाले गुंडागर्दी कर रहे हैं, न वसूल पाओ तो मीडिया वाले NPA के figures को TV पर नचा - नचा के दिखाएंगे और बैंकर्स के निकम्मेपन के कसीदे गढ़ेंगे। । हर कोई बैंकर से उम्मीद करता है की वो एक super human की तरह credit officer के साथ हीं शरलक होम्स, ज्योतिषी, आर्थिक मोर्चे पर देश का बलिदानी सिपाही और welfare agent के रूप में काम करे, उसपर चवन्नी भर के भी public money के नुकसान की accountability अलग से, बैंकर होने की बहादुरी के तमगे के रूप में।
क्या आपको याद है किसी मीडिया चैनल ने बैंकर्स के काम, उनके work pressure और उनकी जिंदगी पर कोई 15-20 मिनट का भी शो किया हो। अभी हाल में ही एक चैनल वाले भाई साहब ने किसी बैंकर को ज्ञान दे दिया की पहले सर्टिफिकेट दो की हिन्दू – मुसलिम शो नहीं देखते हो फिर बैंकर्स पे शो करेंगे। क्यों भाई, अपने हजारो शो के लिए आपने किस किस से सर्टिफिकेट लिए थे जो कभी अंधेरे और कभी उजाले में शो करते हो?
मीडिया की सर्वे मैं बहुत दिलचस्पी रहती है। क्यों नहीं मीडिया वाले एक सर्वे और करवाएँ। रात में 9 बजे – 10 बजे – 11 बजे public service में काम करने वाले/ रास्ते में घर लौटने वालों से पूछें तो पता चलेगा आधे बैंकर्स हैं। वीरेंद्र सहवाग कभी फिरोज़शाह कोटला से day – night मैच देखकर घर लौटे तो हो सकता है उन्हे एकाध बैंकर ब्रांच में बैठा काम करता भी दिख जाये।
देश में इतना industrialisation हुआ, क्या बैंको का कोई योगदान है?
देश के गरीब सूदखोरों के चंगुल से निकाल पाये, क्या बैंको का कोई योगदान है?
आपका पैसा चोर डाकुओ से सुरक्षित है, क्या बैंको का कोई योगदान है?
मिडिल क्लास घर गाडियाँ और बेहतर जीवन जी रहा है, क्या बैंको का कोई योगदान है?
आपके बच्चे आपके बजट से बाहर अच्छे educational institutes में पढ़ रहे हैं, क्या बैंको का कोई योगदान है?
आपके जीवन के हर क्षेत्र के सुधार में क्या बैंको का कोई योगदान है?
यदि हाँ, तो आज बैंकर्स भी अपने जीवन में आपका कुछ योगदान चाहते हैं – Social Media और Media के jokes और दुर्व्यवहार से अलग वो सम्मान जो वो deserve करते हैं। 0.01% बैंकर्स शायद गलत हों पर क्या 99.99% को उसी कटघरे में रखना सही है?
विश्वास रखिए, बैंकर्स इस बार भी मजबूती के साथ इस बुरे दौर से निकल जाएँगे और देश के विकास में लगातार अग्रणी भूमिका निभाएंगे। और आपका साथ मिले ना मिले, देश के प्रति उनके कर्तव्य को अटूट commitment के साथ निभाएंगे।
देश का ही
एक बैंकर
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