Sunday, 23 June 2013

"रिश्ता"

"रिश्ता"
नाम नही सम्बन्धों का केवल
ना ही बंधन है
अनुबंध की तरह किसी का साथ देने का।
वह "रिश्ता" नहीं
जो 'रिसता' रहता हो
परस्पर दिलों में कटुता लिए
हँसता रहता हो।
वह पवित्र भावना
जो परिपूर्ण हो-
त्याग, समर्पण और प्यार से 
सुख -दुःख में भागीदारी के अधिकार से
वह डोर -
जिसका कोई छोर नहीं होता
हम बंध जाते हैं एक गाँठ में
तनावों में भी जिसका
कोइ तोड़ नहीं होता।
कुछ ऐसा होता है रिश्ता
जो सीधे दिलों के रास्ते तय करता है
इस रास्ते में मगर
कोई मोड़ नहीं होता।
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